इंसान ने इंसान के लिए पैदा किया खतरा?????

विगत कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि विश्व के अनेक-अनेक देशों में अनेक-अनेक तरह के वायरस या कोई और तरह की बिमारीयों का फैलना, साथ ही साथ इसमें प्राकृतिक आपदा भी ( जो एक अलग और भयावह रुप लेकर आती हैं) शामिल हैं ! हमनें देखा है इनके होने से कम समय में ही काफी बड़ा नुकसान उठाने को मिला है? ( जन, धन और प्रकति का) सोचनीय यह है कि आखिर ऐसा क्यों होता हैं या विगत कुछ वर्षों में ऐसा क्या हो रहा है! अगर कारण जानना चाहें तो अनेकों मिल जायेंगे, परन्तु इन सभी कारणों में एक महत्वपूर्ण और समान कारण हैं, प्रकृति से काफी हद तक छेड़छाड़, विभिन्न देशों की पूरे विश्व में अपनी छवि को इस तरह दिखाना की वह महाशक्ति हैं. लेकिन ऐसा करने से होता क्या है सिर्फ और सिर्फ नुकसान, एक देश से निकली समस्या बहुत कम समय में ही पुरे विश्व पर राज कर लेती हैं और फिर अपने दुष्परिणाम को सामने लाती हैं! 


                आज विश्व में कुछ ऐसे देश हैं जो अपने आप को महाशक्ति के रुप में दिखाना चाहते हैं, वह ऐसी किसी भी हद तक जाने को तैयार होते हैं जिसमें पूरा विश्व मुश्किल में आ जाये ! 


       जी हाँ, जैसा कि आप सभी को विदित हैं किसी एक देश द्वारा उत्पादित किया हुआ कोरोना वायरस हैं! ऐसा क्या हुआ या उस देश ने ऐसा क्या किया कि थोडे़ ही समय में पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया और बेवजह मौतों का अंबार लग गया! तरह तरह की खबरों से रुबरु आप भी हुये होंगे और मैं भी, कि आखिर वह देश करना क्या चाहता था और कर क्या गया. यानि इन खबरों से यह तो पता चलता हैं कि गुप्त रूप से वह देश अपनी ताकत का नाजायज रूप पूरे विश्व के सामने लाया हैं.इस देश के साथ आगे " सयुंक्त राष्ट्र संघ " को विचार करना होगा क्यूँकि अपनी किसी गुप्त और नाजायज निती ( सोच) को लेकर इस देश ने ना सिर्फ अपने देश में खौफ पैदा किया अपितु पूरे विश्व में लोगों को खौफ में रखा पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था, चिकित्सा, सामाजिक ढांचा और विभिन्न देशों के आपसी संबंधों को बुरी तरह से प्रभावित किया हैं. आखिर यह देश दिखाना क्या चाहता था पूरे विश्व को, इस प्रशन का ऊत्तर तो शायद इस समस्या के निपटने के बाद ही मिलेगा पूरे विश्व को लेकिन यह जरूर हैं कि ऊतर जरूर मिलना चाहिए. 


और शायद बात कही ना कहीं वहीं घूम कर आती हैं कि?????? 
                  इंसान ने इंसान के लिए पैदा किया खतरा? 


( यह गंभीर विचार आया मन- मस्तिष्क में जो आपके साथ साझा कर रहा हूँ) 



                                                                                
                                  डॉ तरूण दुबे


                        सहायक आचार्य, समाजशास्त्र